कलुआ गैंग के सक्रीय सदस्य देवेंद्र फौजी ने सजा-ए-मौत के खिलाफ खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा

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फर्रूखाबाद :- यह आदेश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार सांगवान और राम मनोहर राम नारायण मिश्रा की अदालत ने दस्यु सम्राट देवेंद्र फौजी की ओर सजा को चुनौती देने वाली अपील पर दिया है। 29 मार्च को फर्रुखाबाद की विशेष अदालत ने देवेंद्र को फांसी के साथ 7.05 लाख रुपये का अर्थदंड की सजा सुनाई थी।
करीब 19 साल पहले फर्रुखाबाद में तीन पुलिस कर्मियों व एक ग्रामीण की हत्या के मामले में फांसी की सजा पाएं कटरी किंग देवेंद्र फौजी ने सजा-ए-मौत को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का रिकार्ड तलब कर सरकार से जबाव तलब किया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार सांगवान और राम मनोहर राम नारायण मिश्रा की अदालत ने दस्यु सम्राट देवेंद्र फौजी की ओर सजा को चुनौती देने वाली अपील पर दिया है। 29 मार्च को फर्रुखाबाद की विशेष अदालत ने देवेंद्र को फांसी के साथ 7.05 लाख रुपये का अर्थदंड की सजा सुनाई थी।
मामला फर्रुखाबाद जिले के कपिंल थाना क्षेत्र का है। 2005 से पहले तक कटरी (बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर में गंगा-रामगंगा किनारे का इलाका) में कलुआ गिरोह आतंक का पर्याय बन चुका था। कंपिल थाने के दरोगा आनंद कुमार सिपाहियों, पीएसी जवानों व ग्रामीणों के साथ नौ सितंबर 2005 को डकैत कलुआ की तलाश में कटरी में कॉबिंग करने गए थे। वे सींगनपुर कटरी से दो नावों पर सवार होकर गंडुआ गांव की ओर जा रहे थे। इसी दौरान डकैत कलुआ यादव, नरेश धीमर, विनोद पंडित व छह अज्ञात बदमाशों ने पुलिस पर फायरिंग कर दी।
गोली लगने से नाव सवार पीएसी के एचसीपी चंद्रपाल सिंह, सिपाही इशरत अली, दिलीप कुमार व ग्रामीण दृगपाल की मौके पर मौत हो गई। पीएसी जवान कमलेश दीक्षित, सिपाही ओमप्रकाश यादव, राजेश सिंह राठौर, रमेश बाबू, ग्रामीण बदन सिंह यादव, रामनरेश, श्रीपाल घायल हो गए थे। दरोगा आनंद कुमार की तहरीर पर नरेश धीमर, कलुआ यादव, विनोद पंडित, देवेंद्र कुमार उर्फ फौजी, कंपिल के पुंथर गांव के राम सिंह व छह अज्ञात बदमाशों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस ने सभी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। इसके बाद वर्ष 2024 में ट्रायल कोर्ट ने देवेंद्र फौजी को दोषी करार दिया जबकि, साक्ष्य के अभाव में आरोपी राम सिंह बरी हो गया।
हेयर स्टाइल से बना देवेंद्र…फौजी, कलुआ के बाद सम्हाली कटरी की कमान
पीलीभीत कोतवाली बीसलपुर क्षेत्र के पटनिया गांव निवासी देवेंद्र कुमार, दस्यु सम्राट कलुआ उर्फ कल्लू यादव का दाहिना हाथ था। शाहजहांपुर परौल थाना क्षेत्र के पूरन नगला गांव का रहने वाला कलुआ, गिरोंह का बादशाह था, लेकिन उसकी नींव, देवेंद्र फौजी के मामा नज्जू ने रखीं थी। नज्जू ने कलुआ का नेतृत्व स्वीकार कर लिया था। इसी दौरान नज्जू ने अपने भांजे देवेंद्र कुमार की मुलाकात कलुआ से कराई। देवेंद्र इस गिरोह का सबसे युवा डकैत था।
बहुत जल्द कलुआ का विश्वास पात्र बना देवेंद्र, फौजी जैसी हेयर स्टाइल रखता था। इस वजह से कलुआ उसे फौजी कहता था। धीरे -धीरे वह देवेंद्र फौजी के नाम से मशहूर हो गया। इस गिरोह में दूसरे पायदान पर रहा जलालाबाद का नरेश धीमर पुलिस मुठभेड़ में फर्रुखाबाद और कलुआ बरेली में मारा गया। इसके बाद इस गिरोह की कमान देवेंद्र फौजी ने सम्हाली। कुछ ही समय में कटरी का खूखांर किंग बन चुके देवेंद्र फौजी ने मामा नज्जू की सलाह पर आत्मसमर्पण कर दिया। अब बरेली जेल में बंद देवेंद्र फौजी ने 19 साल पुराने मामले में मिली सजा-ए-मौत को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।

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