आबकारी व पुलिस की शह पर ‘जीवन से खिलवाड़’

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फर्रुखाबाद :- जिले में शहर से लेकर गांव तक कच्ची शराब का काराबोर धड़ल्ले से चल रहा है। इसमें किसी न किसी रूप में आबकारी और स्थानीय पुलिस की संलिप्तता होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। दबी जुबान से यह बात इस कारोबार से जुड़े लोग भी मानते हैं। पुलिस व आबकारी छापेमारी तभी करते हैं, जब लाइसेंसी कारोबारियों की शिकायत पर हाईकमान से डंडा फटकारा जाता है। सस्ती और अधिक नशीली होने से इसके ग्राहक भी कम नहीं हो रहे हैं। कारोबारियों की मानें तो यह 20 से 10 रुपये का पाउच आसानी से बिक जाती है।
कई छापेमारी का दावा
आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली देखी जाए तो कई स्थानों पर छापेमारी का दावा किया जाता है, जबकि हकीकत इससे एकदम इतर है। क्यों की इन अवैध शराब बनाने वालो के मुखिबर उन्हें पहले ही सूचना दे देते हैं। टीम कई लीटर कच्ची शराब बरामद कर 24 लोग गिरफ्तार किए। व लहन नष्ट कर वापस हो लेती है। कुछ एक दो पकड़ कर लम्बे समय के लिए इतिश्री कर लेती है। अब चुनाव बीतने के साथ ही आबकारी टीम ने भी डंडा रख दिया है। अगर आप भ्रमण पर निकलेंगे तो कहीं न कहीं आपको सड़क पर झूमते, या इधर उधर पड़े हुए नशेड़ी युवक दिखाई दे जाएंगे।
फर्रुखाबाद में लकूला और रामलीला गड्डा बना अड्डा
सिटी सर्किल में लकूला और रामलीला गड्डा कच्ची शराब कारोबार का अड्डा है। इससे एसपी से लेकर चौकी प्रभारी तक वाकिफ हैं। छापेमारी की औपचारिकता से यहां कोई फर्क नहीं पड़ता। बता दें कि पूर्व में कच्ची शराब पीने से कुछ लोगों की मौत भी हो चुकी है। सूत्रों की मानें तो लकूला और रामलाली गड्डा के अलावा नेकपुर कला, खानपुर गड्डा, टुकुरियान नगला, जनैया सिठैया, पट्टी प्रधुमभन, शिकारपुर, गुतासी में भी कच्ची शराब बनती है। हर चुनाव बाकायदे भट्ठियों की बोली लगती है। चुनाव के समय इन स्थानों से तैयार कच्ची शराब के साथ ही इसे बनाने के सामान बरामद हुए थे। चुनाव खत्म होते ही भट्ठियां फिर से धधकने लगी हैं।
टीम के पहुंचने से पहले आ जाती खबर
मोहम्मदाबाद यहां करीब आधा दर्जन गांवों में कच्ची शराब बनाई जा रही है। कारोबारियों की मानें तो छापे को टीम के रवाना होते ही उनके पास सूचना पहुंच जाती है। इलाके के ग्राम मुड़गांव के मजरा हरसिंगपुर, अलीदादपुर, कन्हयू पट्टिया, लगुनाबरी, पट्टी खुर्द, तकीपुर, रैसेपुर, महोई, नगला स्वामी, दनियापुर में कच्ची शराब बनती है। पियक्कड़ों की मानें तो बाजार की अपेक्षा इसकी कीमत काफी कम और नशा दोगुना होता है। कारोबार से जुड़े लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि गुड़, शीरा को पानी में डालकर गर्म किया जाता है। इसके बाद टिंचर, लहन अल्कोहल मिलाते हैं। इसके बाद डिब्बों को जमीन में दबा दिया जाता है। तीसरे दिन कच्ची शराब तैयार हो जाती है। 1 लीटर अल्कोहल में 25 लीटर कच्ची शराब बनती है। कारोबार से जुड़े लोगों की मानें तो थाना पुलिस छापेमारी करती है लेकिन सुविधा शुल्क के दम पर टीम के रवाना होते ही उनके पास सूचना पहुंच जाती है।
ज्यादा अल्कोहल से जहर हो जाती शराब
अमृतपुर थाना क्षेत्र के गांव कुतलूपुर, मंझा, आसमपुर, कुसमापुर, अलादपुर भटौली, डाढ़ीपुर, फकरपुर, करनपुर घाट में कच्ची शराब का धंधा जोरों पर है। आबकारी विभाग और पुलिस इन इलाकों में कभी-कभार ही छापे मारती है। इसके चलते कारोबारियों के हौसले बुलंद हैं। अल्कोहल की मात्रा अधिक होने से शराब जहरीली हो जाती है। नाम न छापने की शर्त पर एक शराब कारोबारी ने बताया कि पुलिस को भी समझना पड़ता है।
पीसकर डाला जाता है कांच
शमसाबाद कारोबारियों की मानें तो तेज नशा के लिए कच्ची शराब में कुछ लोग पीसा हुआ कांच भी मिला देते हैं। इसे अधिक पीने से जान भी चली जाती है। गांव रजलामई, दादूपुर, अलेपुर, अमलैया आशानंद, चिलसरा, दादूपुर, केहरी नगला और बेहटा बल्लू में कच्ची शराब धड़ल्ले से बेची जा रही है। जानकारी के बावजूद पुलिस छापेमारी नहीं करती है। कुछ माह पूर्व पुलिस ने छापेमारी की थी लेकिन नाम मात्र शराब ही बरामद की गई थी। गिरफ्तारी कोई नहीं हई। अवैध धंधे से जुड़े लोगों की मानें तो गुड़, शीरा, अल्कोहल, नशीली गोलियां भी इस शराब में डाली जाती हैं। ज्यादा नशीली करने के लिए कांच पीस के डाल दी जाती हैं।
स्कूलों के इर्द गिर्द भी भट्ठियां
कायमगंज नगर सीमा से सटे प्रेमनगर गांव के इर्द गिर्द आधा दर्जन से अधिक स्कूल हैं और यहीं कच्ची शराब का कारोबार कुटीर उद्योग बन चुका है। वहीं रेलवे स्टेशन के पास श्याम नगर में तो नशेड़ी युवकों का सुबह से शाम तक आवागमन होता रहता है।प्रेमनगर, श्याम नगर,ममापुर, आखूनपुर के अलावा कई गांवों में कच्ची शराब का धंधा चल रहा है। हल्का इंचार्जों को इसकी बखूबी जानकारी है। प्रेमनगर गांव के इर्द गिर्द सीपी विद्या निकेतन, शकुंतला देवी महिला महाविद्यालय, विद्या मंदिर महाविद्यालय, एपी पब्लिक स्कूल, विद्या मंदिर पूर्व माध्यमिक विद्यालय, शिशु मंदिर के अलावा कई अन्य स्कूल हैं। यहां से मंडी चौकी मात्र 50 – 60 कदम की दूरी पर है। सुबह से शाम तक सीपी तिराहे पर पुलिस बल भी रहता है। उसके बावजूद कच्ची शराब का धंधा जोरों पर है।
ये मिलाते हैं शराब में
कारोबारी शराब बनाने में धतूरा, नौसादर, यूरिया, बेशरमबेल के पत्तों का भी उपयोग करते है। नौसादर गुड़ को जल्दी से घोल देता है जिससे शराब जल्दी बन जाती है। नशा बढ़ाने के लिए कुछ लोग पीसा हुआ कांच व रासायनिक दवाएं भी मिला देते हैं।
कच्ची शराब, मतलब लीवर और किडनी दोनों फेल सूत्रों की मानें तो कच्ची शराब में कोई भी पदार्थ निर्धारित नहीं है। यह लीवर व किडनी दोनों पर अटैक करती है। गर्मी में इसके जहरीला होने की संभावना पूरी तरह होती है। यह स्वास्थ्य के लिए पूरी तरह हानिकारक है। इसका माह दो माह सेवन करने से व्यक्ति की मौत हो सकती है।
जागरूक स्माजसेवियो ने पुलिस अधीक्षक विकास कुमार से मांग की है कि आबकारी व पुलिस टीम के सहयोग से ताबड़तोड़ कार्यवाही की जाए। जिससे यह अवैध कारोबार बंद हो सके। वहीं नशे के आदी हो चुके लोगों को नशामुक्ति केंद्र में भिजवाया जाए ताकि उनके परिवारो को समस्याओं का सामना न करना पड़े।

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